Laxman ji | लक्ष्मण जी की मृत्यु की खबर सुनते ही माता सीता अशोक वाटिका में आखिर क्यों मुस्कुराने लगीं ?

लक्ष्मण जी की मृत्यु की खबर-आखिर क्यों? लक्ष्मण जी की मृत्यु की खबर सुनते ही माता सीता अशोक वाटिका में मुस्कुराने लगीं। जब मेघनाथ ने लक्ष्मण जी पर कई दिव्यास्त्र चलाए, लेकिन लक्ष्मण जी के प्रणाम करते ही जब सारे अस्त्र वापस लौट गए तब मेघनाथ ने शक्ति का प्रयोग कर के लक्ष्मण जी को मूर्छित कर दिया और तब सुसेन वैद्य ने बताया कि लक्ष्मण जी का उपचार द्रोणागिरी पर्वत पर पाए जाने वाली संजीवनी से ही संभव है, लेकिन सूर्योदय से पहले ही लाना पड़ेगा अन्यथा लक्ष्मण जी की मृत्यु हो जाएगी।

 

त्रिजटा ने दुखी होकर ये खबर माता सीता को सुनाई तो माता सीता जोर जोर से त्रिजटा पर हंसने लगी। तब त्रिजटा चौंक गई और माता सीता से बोली कि आप हंस क्यों रही है? यह तो दुख की घड़ी है पर फिर भी आप हंस रहीं हैं। तब सीता ने कहा कि इसमें चिंता की क्या बात है। जब लक्ष्मण स्वयं तीनों लोकों के स्वामी की गोद में सिर रखकर सो रहे हों तो काल उन्हें छू भी कैसे सकता है? और रही बात सूर्य उदय की, जब तक हनुमान जी संजीवनी लेकर नहीं आते तब तक सूर्य इतना कहां साहस है कि वह सूर्य उदय हो जाए।

रावण ने मरने से पहले लक्ष्मण(laxman ji) को कौन सी तीन बातें बताई ?

मरने से पहले वक्त रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई थी। तो आइये जानते हैं वो तीन बातें। जिस समय रावण मरणासन्न अवस्था में था, उस समय भगवान श्रीराम ने लक्ष्मण से कहा कि इस संसार से नीति, राजनीति और शक्ति का महान पंडित विदा ले रहा है। तुम उसके पास जाओ और उससे जीवन की कुछ ऐसी शिक्षा ले लो जो और कोई नहीं दे सकता। भगवान श्रीराम की बात मानकर लक्ष्मण मरणासन्न अवस्था में पड़े रावण के सिर के नजदीक जाकर खड़े हो गए। रावण ने कुछ नहीं कहा।

लक्ष्मण वापस भगवान श्रीराम के पास लौटकर आए। तब भगवान श्रीराम ने कहा कि यदि किसी से ज्ञान प्राप्त करना हो तो उसके चरणों के पास खड़े होना चाहिए न कि सिर की ओर। यह बात सुनकर लक्ष्मण रावण के पैरों की ओर खड़े हो गए। उस समय महापंडित रावण ने लक्ष्मण को तीन बातें बताई, जो जीवन में सफलता की कुंजी। पहली बात जो रावण ने लक्ष्मण को बताई वह यह थी

1- शुभ कार्य जितनी जल्दी हो कर डालना और अशुभ को जितना टाल सकते हो, टाल देना चाहिए। मैं श्रीराम को पहचान नहीं सका और उनकी शरण में आने में देरी कर दी। इसी कारण मेरी यह हालत हुई।

2-दूसरी बात यह है कि अपने शत्रु को कभी अपने से छोटा नहीं समझना चाहिए। मैं यह भूल कर गया। मैंने जिन्हें साधारण वानर और भालू समझा, उन्होंने मेरी पूरी सेना को नष्ट कर दिया। मैंने जब ब्रह्माजी से अमरता का वरदान मांगा था, तब मनुष्य और वानर के अतिरिक्त कोई मेरा वध न कर सके, ऐसा कहा था। क्योंकि मैं मनुष्य और वानर को तुच्छ समझता था। यह मेरी सबसे बड़ी गलती थी।

3-रावण ने लक्ष्मण को तीसरी और अंतिम बात यह बताई कि अपने जीवन का कोई राज हो तो उसे किसी को भी नहीं बताना चाहिए। यहां भी मैंने गलती कर दी क्योंकि विभीषण मेरी मृत्यु का राज जानता था। यह मेरे जीवन की सबसे बड़ी गलती थी। तो दोस्तों यह थी वह तीन बातें जो रावण ने मरते वक्त लक्ष्मण को बताई थी।

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8 thoughts on “Laxman ji | लक्ष्मण जी की मृत्यु की खबर सुनते ही माता सीता अशोक वाटिका में आखिर क्यों मुस्कुराने लगीं ?”

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